Thursday, February 14, 2013

जंगल कप


इन्द्रधनुष का गोल बना कर
बादल का मैदान जमाकर
सोमवार को हुआ था पोल
मिलकर खेलेंगे  फुटबॉल
हाथी, भालू, बंदर, तोता

मंगल को जंगल कप होता
छम से बिल्ली बुध को आई
जब चूहों की बारी आई
गुरु को हाथी दादा आये
सूंड मार कर बॉल उड़ाए

शुक्र को खूब झमा-झम झम
नाचे मोर छमा छम छम
शनि को आए भालू भाई
आधे मैदान दौड़ लगाई
दौड़ हांफते दिये दो गोल
जंगल मे खेली फुटबॉल

रविवार को बदली चाल
चींटी ने किया कमाल,
मिलकर जीता जंगल फुटबॉल

Thursday, January 24, 2013

गुल -गोस्त

  1.                     इक था चिंटू इक थी गुडिया दोनों बन गए दोस्त
                        बीच सडक पर दौड़ लगाते बन बैठे गुल गोस्त 
      
    हबडम- गबडम, हल्लम गुल्ल्म  शैतानी के तीर चलाते
    खुल्लम खुल्लम , भूल भडडक्कम,घूम घूम कर चने चबाते
    माँ की झिडकी , दादी की घुड़की चिकुटी  खा कर चीखा  बंटी
    खेल खिलौने तोड़ फोड़ कर , बजा देते  खतरे की घंटी
    भूल भुलैया गाँव  चोपया फिरते चारो ओर  

    इक था चिंटू इक थी गुडिया दोनों बन गए दोस्त
    बीच सडक पर दौड़ लगाते बन बैठे गुल गोस्त

    कान पिल्ले का जाकर  खींचा, उठा टांग पर ऊचा नीचा
    कुतिया ने जबड़े को भींचा , नाप लिया फिर  आगा पीछा
    हईया हईया ता- ता थईया भागे देखो चिंटू -गुड़िया
    नदी मुहाने ताने बाने बन बैठे आफत की पुड़िया
          चैन मिले ना बाग़ बगीचे, भागे काका सुनकर शोर

    इक था चिंटू इक थी गुडिया दोनों बन गए दोस्त
    बीच सडक पर दौड़ लगाते बन बैठे गुल गोस्त



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